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भौंकगढ़ इस उथल पुथल के समय में उन विभाजनकारी शक्तियों को समझने की कोशिश है जो निजी हित के लिए समाज की भलाई के नाम पर समाज को ‘हम’ और ‘तुम’ में बाट देते हैं | ये उपन्यास मष्तिष्क का दरवाज़ा खटखटाता हुआ हमारी चेतना जगाने का एक छोटा सा प्रयास है | सेठ गुरुरमल दागी मंत्री थे, परन्तु सफ़ेद कपड़े पहनते थे; ज़मीनी नेता थे, मगर मिट्टी पर पैर नही रखते थे; आँखे कमज़ोर थी, परन्तु दूरदर्शी माने जाते थे; अनपढ़ थे, परन्तु शिक्षा मंत्री थे; स्वास्थ्य ख़राब था, मगर स्वास्थ्य मंत्री भी थे |

Short Synopsis

भौंकगढ़ इस उथल पुथल के समय में उन विभाजनकारी शक्तियों को समझने की कोशिश है जो निजी हित के लिए समाज की भलाई के नाम पर समाज को ‘हम’ और ‘तुम’ में बाट देते हैं | ये उपन्यास मष्तिष्क का दरवाज़ा खटखटाता हुआ हमारी चेतना जगाने का एक छोटा सा प्रयास है | सेठ गुरुरमल दागी मंत्री थे, परन्तु सफ़ेद कपड़े पहनते थे; ज़मीनी नेता थे, मगर मिट्टी पर पैर नही रखते थे; आँखे कमज़ोर थी, परन्तु दूरदर्शी माने जाते थे; अनपढ़ थे, परन्तु शिक्षा मंत्री थे; स्वास्थ्य ख़राब था, मगर स्वास्थ्य मंत्री भी थे |

Author Bio

मूलरूप से पूर्वांचल के रहने वाले हैं, जहाँ बोली से लेकर साहित्य में हास्य, व्यंग, और कटाक्ष का अपना अलग ही रूप है | कहानियां पढ़ने की रूचि बचपन से रही | उच्च शिक्षा ए.एम.यू. के कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट से प्राप्त की | यहाँ लिखने की जिज्ञासा तो अंकुरित हुई पर C++ में उलझ के रह गई | स्नाकोत्तर के उपरांत स्नातक महाविद्यालय में शिक्षण का कार्य भी किया, पर साइंस और टेक्नोलॉजी पर साहित्य हमेशा हावी रहा, जिसका प्रमाण आपके हाथ में “भौंकगढ़” के रूप में है | लेखक को घुमने और पढ़ने का शौक है! 

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