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डॉ. हिलाल बदायूँनी हिंदुस्तान के मशहूर नाज़िमे मुशायरा हैं और मुशायरों व कविसम्मेलनों के संचालन में बहुत प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय हैं । मुशायरों में आपकी हाज़िर जवाबी, अंदाज़े बयान तमाम सोशल एकाउंट्स पर देखने को मिलता है । आपकी अदबी ख़िदमात के लिए देश प्रदेश के कई अहम ऐज़ाज़ात से नवाज़ा जा चुका है ।
' गुफ़्तगू चाँद से ' आसान अल्फ़ाज़ में उन तमाम साहित्य प्रेमियों के लिए संकलित की गई है जो देवनागरी लिपि लिखने व पढ़ने में आसानी महसूस करते हैं । ये किताब आपकी ग़ज़लें , नज़्में , क़त'आत व मुतफररिक़ात का संकलन है जिसमें जदीद मौज़ूआत और ज़िंदगी की हक़ीक़त को शामिल किया गया है । आपकी कई म्यूज़िक एलबम्स भी मार्केट में मौजूद हैं जिन्हें देश के मशहूर गायकों ने अपनी आवाज़ दी हैं । आप आर्टिस्ट्स वेलफेयर ऐसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं एवं आपकी अन्य किताबों की श्रृंखला में ताबानी , नूर से अनवर तक एवं  सिलसिला भी प्रमुख हैं  । 

Short Synopsis

डॉ. हिलाल बदायूँनी हिंदुस्तान के मशहूर नाज़िमे मुशायरा हैं और मुशायरों व कविसम्मेलनों के संचालन में बहुत प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय हैं । मुशायरों में आपकी हाज़िर जवाबी, अंदाज़े बयान तमाम सोशल एकाउंट्स पर देखने को मिलता है । आपकी अदबी ख़िदमात के लिए देश प्रदेश के कई अहम ऐज़ाज़ात से नवाज़ा जा चुका है ।
' गुफ़्तगू चाँद से ' आसान अल्फ़ाज़ में उन तमाम साहित्य प्रेमियों के लिए संकलित की गई है जो देवनागरी लिपि लिखने व पढ़ने में आसानी महसूस करते हैं । ये किताब आपकी ग़ज़लें , नज़्में , क़त'आत व मुतफररिक़ात का संकलन है जिसमें जदीद मौज़ूआत और ज़िंदगी की हक़ीक़त को शामिल किया गया है । आपकी कई म्यूज़िक एलबम्स भी मार्केट में मौजूद हैं जिन्हें देश के मशहूर गायकों ने अपनी आवाज़ दी हैं । आप आर्टिस्ट्स वेलफेयर ऐसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं एवं आपकी अन्य किताबों की श्रृंखला में ताबानी , नूर से अनवर तक एवं  सिलसिला भी प्रमुख हैं  । 

Author Bio

आर्टिस्स्ट वेलफे यर एसोसिएशन की नीव रखी जो उ ं र्दू
अदब व हिदी साह ं ित्य को बढ़ावा देने के मक़सद से बनाई गई। आर्टिस्स्ट
वेलफे यर एसोसिएशन के फाउं डर व प्रेज़िडेंट के हवाले से एक और शनाख़्त
बनी जिसके ज़रिये से देश विदेश के मशहूर फ़नकारो को मैने एसोस ं िएशन से
जोड़ा और हिदं स्ता
ु न के मुख़्तलिफ़ शहरो में इसकी कमे ं टियाँ बनाकर अदबी
महफिलें सजाना शुरू की। मुझे फ़ख़्र है कि मेरी वाबस्तगी शहरे बदायूँ से है और
इस निस्बत ने मुझे हिलाल बदायूँनी बनाकर बहुत कम उम्र में शोहरत से नवाज़
दिया।
ये ज़ौके सुख़न मुझको मुक़द्दर से मिला है।
जो कु छ भी हूँ मैं आज बुज़ु
र्गों की दआ है। ु
मैं इंतिहाई शुक्रगुज़ार हूँ, मरहूम डॉ राहत इंदौरी, जनाब मं ज़र भोपाली,
जनाब डॉ माजिद देवबं दी, जनाब जौहर कानपुरी, जनाब मं सूर उस्मानी, जनाब
ताहिर फ़राज़, जनाब डॉ अंजुम बाराबं कवी, जनाब डॉ अफ़रोज़ आलम, जनाब
मोईन शादाब, जनाब असलम चिश्ती, जनाब शफ़ीक़ आबिदी, जनाब डॉ
मुनव्वर ताबिश, जनाब ज़मीर सालकी, साहिबान का जिन्होंने अपने तअ िन्हों स्सुरात
व दआइया कलिमात से नवाज़ कर मेरी हौ ु सं ला अफ़ज़ाई फरमाई। इसके साथ
मैं शुक्रिया अदा करता हूँ अपने रूफ़क़ा में जनाब डॉ मुनव्वर ताबिश, जनाब
सोहराब ककरालवी व जनाब रौशन निज़ामी का जिन्होंने इस िन्हों किताब को तरतीब
देने में अपने मुफ़ीद मशवरो से नवाज़ा ब ं ल्कि उन सभी बुज़ु
र्गों दोस्तों सा स्तों थियों
का मशकू र हूँ जिन्होंने मेरे अदबी सफ़र में मेरी रहनुमाई व हौ िन्हों सं ला अफ़ज़ाई
फ़रमाई है। अब ज़्यादा देर मैं अपनी बात इस तरह नही कहना ं चाहता ....
आप इस वक़्त हैं रूबरू चाँद से ।
आइये कीजिये गुफ़्तगू चाँद से ।
शुक्रिया
आपका अपना
डॉ. हिलाल बदायूँ नी

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