Redgrab Books
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कोई मुसव्विर क़लंदर की तस्वीर नहीं बना पाया, लेकिन अगर वहाँ राहत इन्दौरी का चेहरा बना दिया जाये तो शायद वो क़लंदर की ही तस्वीर होगी. मगर क्या सिर्फ़ तस्वीर से क़लंदर तय किये जा सकते हैं? ज़रुरी है कि राहत इन्दौरी की ज़िन्दगी के वरक़ पलटे जायें, जाना जाये कि इस फ़नकार के यहाँ क़लंदरी का नज़ूल कैसे हुआ, और ये भी कि आम ख़ानदान में पैदा होने वाला ये ख़ास बंदा दुनिया को कैसे 'राहत' पहुँचा रहा है| राहत इन्दौरी की ज़ाती ज़िन्दगी और मुशायरों की दुनिया के 'राहत साहब' से जुड़े दिलचस्प कि़स्से किताब की शक्ल में अब आपके सामने हैं "क़लंदर
कोई मुसव्विर क़लंदर की तस्वीर नहीं बना पाया, लेकिन अगर वहाँ राहत इन्दौरी का चेहरा बना दिया जाये तो शायद वो क़लंदर की ही तस्वीर होगी. मगर क्या सिर्फ़ तस्वीर से क़लंदर तय किये जा सकते हैं? ज़रुरी है कि राहत इन्दौरी की ज़िन्दगी के वरक़ पलटे जायें, जाना जाये कि इस फ़नकार के यहाँ क़लंदरी का नज़ूल कैसे हुआ, और ये भी कि आम ख़ानदान में पैदा होने वाला ये ख़ास बंदा दुनिया को कैसे 'राहत' पहुँचा रहा है| राहत इन्दौरी की ज़ाती ज़िन्दगी और मुशायरों की दुनिया के 'राहत साहब' से जुड़े दिलचस्प कि़स्से किताब की शक्ल में अब आपके सामने हैं "क़लंदर
हिदायतउल्लाह ख़ान पिछले कई सालों से सहाफ़त (पत्रकारिता) में हैं, हिदायतउल्लाह ख़ान मालवा के अदबी महक़मे में एक जाना पहचाना नाम है, राहत साहब और हिदायतउल्लाह ख़ान साहब का साथ 25 सालों से ज़्यादा का है, इंदौर और आस-पास अदब को मुशायरों के ज़रिये अगर किसी ने ज़िन्दा रखा है तो उसमें हिदायतउल्लाह ख़ान का नाम सबसे पहले आता है, चाहे फिर वो छोटी से छोटी नशिस्त हो या बड़े से बड़ा मुशायरा, उन्हें यह कतई पसंद नहीं कि उनका नाम कहीं लाइट में आये, दोस्तों के इसरार पर उन्होंने क़लम उठाया और इस किताब को अंजाम दिया... अदब का कोई भी ऐसा बड़ा नाम नहीं है जो हिदायतउल्लाह ख़ान को न जानता हो, हिदायत साहब अदबनवाज़ हैं, ये तो अदब जानता ही है, लेकिन अब वो साहिब-ए-किताब भी हुए, ये एक ख़ुशी की बात है....
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