Our Projects

product

Logline

आल्हा ऊदल की महागाथा जनमानस में गायन के द्वारा मौखिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती रही है। यह एक लोक महाकाव्य है। इसमें उस काल की राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक तथा अर्थव्यवस्था का संपूर्ण वर्णन मिलता है। यह एक ऐसी धरोहर है, जो हर आल्हा गायक अपने बेटे या शागिर्द को देकर जाता है। बुंदेलखंड में कई लोगों के पास हस्त लिखित आल्हा की प्रतियां आज भी हैं। उसमें से कुछ देवनागरी शैली में भी हैं, पर गाने वाले उसे बुंदेली शैली में ही गाते हैं। आज भी भारत के कई हिस्सों में यह अपने-अपने तरीके से गाया और सुना जाता है। अभी तक यह जहां भी उपलब्ध हुआ काव्य-शैली में ही है। इसे पहली बार गद्य-शैली में क्रमबद्ध किया जा रहा है।

Short Synopsis

आल्हा ऊदल की महागाथा जनमानस में गायन के द्वारा मौखिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती रही है। यह एक लोक महाकाव्य है। इसमें उस काल की राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक तथा अर्थव्यवस्था का संपूर्ण वर्णन मिलता है। यह एक ऐसी धरोहर है, जो हर आल्हा गायक अपने बेटे या शागिर्द को देकर जाता है। बुंदेलखंड में कई लोगों के पास हस्त लिखित आल्हा की प्रतियां आज भी हैं। उसमें से कुछ देवनागरी शैली में भी हैं, पर गाने वाले उसे बुंदेली शैली में ही गाते हैं। आज भी भारत के कई हिस्सों में यह अपने-अपने तरीके से गाया और सुना जाता है। अभी तक यह जहां भी उपलब्ध हुआ काव्य-शैली में ही है। इसे पहली बार गद्य-शैली में क्रमबद्ध किया जा रहा है।

Author Bio

Dr Sudha Chauhan

इंदौर शहर की रहने वाली डॉ. सुधा चौहान की अब तक सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें ‘बालगीता' व ‘सर्वोच्च सफलता के सात कदम' का अंगे्रजी अनुवाद हो चुका है, देश की सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं व समाचार पत्रों में कविता, कहानी, लघुकथा, लेख, व्यंग्य व समीक्षा का प्रकाशन होता रहता है। आपको साहित्य व अन्य क्षेत्र में दर्जनभर से अधिक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं|

Comments

Leave a Comment

Comment*

Reviews

Write Your Reviews

(0.0)

comment*

Up to Top