About “रणजीत सिंह”
जिसे समझ लिया उसने गढ़ दिया
जो नहीं समझा उसने माथा रख दिया
तासीर मेरी अब भी वयसि ही थी
बस उसने चूम - चूम लाल कर दिया
(पत्थर)
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